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दुखद: सड़क हादसों में रोजाना मर रहे 461 लोग पूर्व राष्ट्रपति-केंद्रीय मंत्री भी हुए शिकार

देश में सड़क हादसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं

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Wed, Sep 25, 2024 1:41 PM

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नई दिल्ली, 25 सितंबर 2024 (यूटीएन)। देश में सड़क हादसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। वजह, ओवर स्पीड हो या रोड इंजीनियरिंग का फॉल्ट, सड़क हादसों में रोजाना औसतन 461 व्यक्ति मारे जा रहे हैं। दो दिन पहले ही वैशाली से लोजपा (आर) की सांसद वीणा देवी के बेटे की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं है, जब किसी सियासतदान के परिवार का कोई व्यक्ति सड़क हादसे मारा गया है। यह फेहरिस्त बहुत लंबी है। इसमें पूर्व राष्ट्रपति, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, कद्दावर नेता, सांसद पुत्र और कई दूसरी नामचीन हस्तियां शामिल हैं। सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत ने अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जर्मनी और जापान सहित कई देशों को पीछे छोड़ दिया है। भारत में हर रोज औसतन 1263 सड़क हादसे हो रहे हैं। प्रतिवर्ष होने वाले सड़क हादसों की बात करें तो यह संख्या चार लाख के पार चली जाती है।
 
75 सौ रुपये के बॉन्ड व निबंध की सजा
पिछले दिनों महाराष्ट्र में पुणे के कल्याणीनगर में हुई सड़क दुर्घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों का जबरदस्त गुस्सा देखने को मिला था। ढाई करोड़ रुपये की महंगी कार से हुए सड़क हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। कार को एक नाबालिग चला रहा था। उस वक्त आम लोगों का गुस्सा फूट पड़ा, जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने आरोपी को 75 सौ रुपये के बॉन्ड और सड़क सुरक्षा पर एक निबंध लिखने की सजा देते हुए जमानत दे दी थी। जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो आरोपी और उसके पिता पर कार्रवाई की गई। देश में नया मोटर वाहन अधिनियम लागू होने के बाद यह उम्मीद बंधी थी कि अब सड़क हादसों में कमी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। दूसरी तरफ अमेरिका में 365 दिन में 19 लाख सड़क हादसे हो जाते हैं, लेकिन उनमें मारे जाने वाले लोगों की संख्या 36560 रहती है।
 
*विकसित देशों में भारत के मुकाबले कठोर कानून*
पांच साल पहले लागू हुए नए मोटर वाहन अधिनियम के तहत चालान राशि में कई गुना बढ़ोतरी की गई थी। मकसद था, सड़क हादसों में कमी लाना। देश में प्रतिवर्ष 4 लाख से ज्यादा सड़क हादसे हो रहे हैं। सड़क हादसों में मारे जाने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत ने कई विकसित देशों को पीछे छोड़ दिया है। इनमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, चीन, जर्मनी और जापान सहित 19 देश शामिल हैं। सड़क हादसों को लेकर विकसित देशों में भारत के मुकाबले कानून कठोर हैं। साथ ही इन देशों में वाहन से लेकर रोड इंजीनियरिंग तक, इन सभी बातों पर गहराई से काम होता है।
 
2022 में मारे गए 1,68,491 लोग
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की 'भारत में सड़क दुर्घटनाएं-2022' शीर्षक से जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, देशभर में 4,61,312 सड़क हादसे हुए थे। इन हादसों में 1,68,491 लोगों की जान गई थी, जबकि 4,43,366 लोग घायल हुए थे। पिछले वर्ष की तुलना में सड़क हादसों में 11.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इन हादसों में होने वाली मौतों में 9.4 प्रतिशत और घायलों की संख्या में 15.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। एक्सप्रेस वे सहित राष्ट्रीय राजमार्गों पर 1,51,997 (32.9 प्रतिशत) सड़क हादसे हुए। राज्य मार्गों पर 1,06,682 (23.1 प्रतिशत) हादसे और अन्य मार्गों पर 2,02,633 (43.9 प्रतिशत) सड़क दुर्घटनाएं देखने को मिली। साल 2022 के दौरान सड़क हादसों के 66.5 प्रतिशत पीड़ितों की आयु 18 से 45 वर्ष के बीच थी। अधिकांश पीड़ित युवा थे। लगभग 68 प्रतिशत मौतें, ग्रामीण क्षेत्रों में हुईं थी, जबकि शहरी क्षेत्रों में 32 प्रतिशत मौतें हुईं।
 
उत्तर प्रदेश में मारे गए 22,595 लोग 
2022 में राष्ट्रीय राजमार्गों पर सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं, तमिलनाडु में दर्ज की गई हैं। इस प्रदेश में 64,105 सड़क हादसे हुए थे। इसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर आता है। यहां 54,432 सड़क दुर्घटनाएं हुई। अगर सड़क-उपयोगकर्ता श्रेणी की बात करें तो 2022 में हुई मौतों में दुपहिया सवार सबसे ज्यादा रहे। यह प्रतिशत 44.5प्रतिशत था। इसके बाद पैदल यात्रियों का नंबर आता है। यह प्रतिशत 19.5 रहा है। सड़क दुर्घटनाओं में मरने वाले लोगों की सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश में रही है। इस राज्य में 22,595 लोगों की सड़क हादसों में मौत हो गई। तमिलनाडु में यह आंकड़ा 17,884 रहा है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2021 के दौरान हुए 412432 सड़क हादसों में 153972 लोग मारे गए थे। इसके अलावा 384448 लोग घायल हुए थे।
 
*पूर्व राष्ट्रपति सहित इन नेताओं ने गंवाई जान ...*
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता राजेश पायलट और केंद्रीय मंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे भी सड़क हादसे का शिकार हुए थे। दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा भी सड़क हादसे में मारे गए थे। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन सायरस मिस्त्री का निधन एक सड़क हादसे में हुआ। राजस्थान में बाड़मेर से पूर्व सांसद मानवेंद्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह की सड़क हादसे में मौत हो गई। हादसे में खुद मानवेंद्र सिंह, उनका बेटा और ड्राइवर घायल हो गया था। लोजपा के बाहुबली नेता और पूर्व सांसद सूरज भान के बेटे की मौत भी रोड एक्सीडेंट में हुई। यूपी के इलाहाबाद में लोजपा के तत्कालीन सांसद और बाहुबली नेता राम किशोर उर्फ रामा सिंह के बेटे राजीव कुमार सिंह उर्फ राहुल की मौत रोड एक्सीडेंट में हो जाती है।
 
*नए कानून लागू, मगर सड़क हादसों में कमी नहीं ...*
देश में सितंबर 2019 से लागू हुए नए मोटर वाहन अधिनियम में चालान राशि में कई गुना इजाफा किया गया था। इसके बाद उम्मीद बंधी थी कि अब वाहन चालक संभल कर चलेंगे और सड़क हादसों में कमी आ जाएगी। हालांकि व्यवहार में ऐसा कुछ नहीं हो सका। सड़क सुरक्षा पर काम कर रहे 'सेव लाइफ फाउंडेशन' के अध्यक्ष पीयूष तिवारी कहते हैं, सड़क हादसे होने की कई वजह होती हैं। इसमें यह प्वाइंट भी बहुत अहम है कि देश में यातायात के नियमों को लेकर लोगों का व्यवहार क्या है। रिसर्च बताती है कि सड़क हादसे के लिए जिम्मेदार कारणों में 25 प्रतिशत हिस्सा, चालकों के यातायात व्यवहार से जुड़ा होता है। इसके बाद सड़क इंजीनियरिंग का नंबर आता है।
 
*वाहन सेफ्टी भी एक अहम प्वाइंट*
इस तरह के हादसों में रोड इंजीनियरिंग भी जिम्मेदार होती है। इसमें रोड की बनावट कैसी है, टर्न किस तरह बने हैं, सरफेस कैसा है, आदि बातें देखी जाती हैं। वाहन की सेफ्टी का स्टैंडर्ड क्या है, ये भी समझना जरुरी है। ओवरआल एनवायरनमेंट कैसा है, ये भी देखना है। जुर्माना राशि बढ़ने से भी हादसे नहीं थम रहे हैं अभी राज्यों में चालान का प्रतिशत 35 है। इसकी भी रिक्वरी नहीं हो पा रही। रिक्वरी का प्रतिशत बेहद कम है। ऐसे यातायात उल्लंघन, जिनमें उसी वक्त चालान इश्यू कर सकते हैं, उसका प्रावधान भी बहुत कम है। इस सिस्टम का वाहन और सारथी के साथ जुड़ाव नहीं हुआ है। ये तय है कि चालान राशि की रिक्वरी जैसे बढ़ेगी तो चालकों के व्यवहार में बदलाव आएगा। रोड इंजीनियरिंग की कमियां दूर करने के लिए जिला/राज्य स्तर पर एक स्टेंडिंग कमेटी गठित की जाए। वह लगातार इस काम पर नजर रखे। हर माह समीक्षा हो।
 
*भारत में स्पीड बढ़ी तो हादसों की भयावहता भी बढ़ी*
हमारे देश में वाहनों की रफ्तार बढ़ रही है। इसके साथ ही हादसों की भयावहता में भी वृद्धि हो रही है। देश में इमरजेंसी केयर जैसी सुविधाओं में सुधार की बहुत ज्यादा जरुरत है। पहले सड़क हादसों में चोट गंभीर नहीं होती थी, लेकिन अस्पताल तक पहुंचने में देरी की वजह से मौत हो जाती थी। अब चोट ज्यादा गंभीर हो गई है। ऐसे में जान बचाना एक बड़ी चुनौती है। अस्पतालों में जान बचाने की पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। सरकार को ट्रॉमा केयर पर फोकस करना होगा। सड़क हादसे तो हर देश में होते हैं, लेकिन मौते उतनी नहीं होती। अमेरिका में भारत से कई गुणा ज्यादा हादसे होते हैं, लेकिन मौत एक चौथाई भी नहीं होती।
 
*यह है भारत सहित कई देशों में हादसों की स्थिति*
भारत में 2020 के दौरान 432957 सड़क हादसे हुए थे। इनमें 151417 लोग मारे गए थे। चीन में 244937 हादसों में 63194 लोग मारे गए। रूसी फेडरेशन में 168099 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 18214 लोग मारे गए। दक्षिण अफ्रीका में 146773 सड़क हादसे हुए। इनमें 14500 लोगों की मौत हो गई। इरान में हुए 337891 सड़क हादसों में 16540 लोग मारे गए। तुर्की में 186532 सड़क हादसों में 6675 लोगों की मौत हुई। अमेरिका में 1927654 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 36560 लोगों की मौत हुई। जर्मनी में 308721 सड़क हादसे हुए। इनमें 3275 लोग मारे गए। जापान में 430601 सड़क हादसे हुए थे, जिनमें 4166 लोगों की जान चली गई।
 
*इस वजह से बढ़ी सड़क हादसों की रफ्तार ...*
साल 2021 के दौरान हुए सड़क हादसों में 133025 (86.4 प्रतिशत) पुरुष और 20947 (13.6 प्रतिशत) महिलाओं की जान गई है। दुपहिया वाहन पर बिना हेलमेट वाले 46593 (30.6 प्रतिशत) चालक सड़क हादसों का शिकार हुए हैं। ऐसे 16397 कार सवार, जिन्होंने सीट बेल्ट नहीं लगाई थी, सड़क हादसों में मारे गए।
ओवरलोड वाहनों की वजह से जो हादसे हुए, उनमें 11011 लोग मारे गए। हिट एंड रन के 57415 केस हुए थे, जिनमें 25938 लोगों की मौत हो गई और 45355 लोग घायल हुए। कुल सड़क हादसों में से 13.7 प्रतिशत घटनाएं ऐसी थी, जिनमें वाहन चालक के पास वैद्य लाइसेंस नहीं था। कुछ चालक ऐसे भी थे, जिनके पास लर्नर लाइसेंस था। 2021 में सड़क पर बने गड्ढों के चलते 1481 हादसे हुए हैं। ऐसे वाहन जो दस साल पुराने हैं, उनका भी सड़क हादसों में 25.8 प्रतिशत हिस्सा रहा है।शहरी क्षेत्रों में हुए सड़क हादसों में 47235 लोग मारे गए, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 106737 लोगों की जान गई है।
 
*नए एक्ट में था भारी जुर्माने का प्रावधान*
संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट में अगर शराब पीकर ड्राइविंग करने का मामला साबित होता है, तो चालक पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगता है। एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पीसीआर का रास्ता रोकने पर भी 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। बिना हेलमेट पकड़े जाने पर तीन माह के लिए लाइसेंस सस्पेंड होता है। ओवर स्पीड और बिना बीमा पॉलिसी के गाड़ी चलाने पर भी दो हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है। नाबालिग, गाड़ी चलाता हुआ पकड़ा गया, तो वाहन मालिक और अभिभावक, दोनों को कसूरवार ठहराया जाता है। इसमें तीन साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना देना पड़ सकता है। गाड़ी का रजिस्ट्रेशन रद्द होने का भी प्रावधान है। ट्रैफिक सिग्नल के उल्लंघन पर 500 रुपये जुर्माना होगा। दोबारा यह उल्लंघन होने पर जुर्माना राशि दो हजार रुपये तक पहुंच सकती है। हिट एंड रन केस में पीड़ित परिवारों को दो लाख रुपये तक की मदद देने का प्रावधान किया गया है। बिना सीट बेल्ट के वाहन चलाना, यह जुर्माना भी 100 रुपये से बढ़ा कर 1000 रुपये कर दिया गया है। ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात करना, इस उल्लंघन पर 5000 रुपये जुर्माना देना पड़ता है।
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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