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शाह, राजनाथ, शिवराज से गडकरी तक... बजट में किस मंत्री को मिला सबसे ज्यादा पैसा

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Wed, Jul 24, 2024 12:02 PM

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नई दिल्ली, 24 जुलाई  2024 (यूटीएन)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को आम बजट पेश कर दिया. सीतारमण के मुताबिक, बजट में गरीब, किसान, महिलाओं और युवाओं पर फोकस रखा गया है. हर बार की तरह इस बार भी आम बजट में मंत्रालय के लिए भी पैसा आवंटित किया गया है. आइए जानते हैं कि मोदी सरकार ने मंत्रालयों के लिए कितने पैसों का प्रावधान किया गया है. बजट 2024-25 में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को सबसे ज्यादा पैसा मिला है. यह मंत्रालय नितिन गडकरी के पास है. बजट में नितिन गडकरी के परिवहन मंत्रालय के लिए 544128 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. 
 
*रक्षा मंत्रालय को 454773 करोड़ रु*
इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर रक्षा मंत्रालय है, जो राजनाथ सिंह के पास है. बजट में रक्षा मंत्रालय के लिए 454773 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा अमित शाह के गृह मंत्रालय के लिए 150983 करोड़ का प्रावधान किया गया है. 
 
*कृषि के लिए 151851 करोड़ का प्रावधान*
वहीं, शिवराज सिंह चौहान के कृषि मंत्रालय के लिए बजट में 151851 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इसके अलावा हेल्थ मिनिस्ट्री के लिए 89287 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. यह मंत्रालय जेपी नड्डा के पास है.इसके अलावा धर्मेंद्र प्रधान के शिक्षा मंत्रालय के लिए 125638 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, विदेश मंत्रालय के लिए 22155 करोड़ का प्रावधान किया गया है. शहरी विकास के लिए बजट में 82577 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा ऊर्जा मंत्रालय को 68769 करोड़ रुपये, आईटी और दूरसंचार मंत्रालय के लिए 116342 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. वहीं, ग्रामीण विकास के लिए 265808 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री सीतारमण ने लोकसभा में 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए कहा, इस साल मैंने ग्रामीण अवसंरचना सहित ग्रामीण विकास के लिए 2.66 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. 
 
*4 साल में सबसे कम हुआ साइज, वित्त मंत्री ने रक्षा बजट में की 1.67 लाख करोड़ की कटौती*
बजट में उन्होंने कृषि से लेकर युवाओं के कौशल विकास तक कई सेक्टरों के लिए ऐलान किए. वहीं दूसरी ओर इस बजट में रेलवे और डिफेंस जैसे सेक्टरों को निराशा हाथ लगी. वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में जहां रेलवे का एक ही बार जिक्र किया, वहीं रक्षा क्षेत्र के बजट में भारी-भरकम कटौती कर दी गई.
 
*अंतरिम बजट की तुलना में इतनी बड़ी कटौती*
वित्त वर्ष 2024-25 के पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 4.54 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे पहले फरवरी में आए अंतरिम बजट में रक्षा क्षेत्र को 6.21 लाख करोड़ रुपये देने का ऐलान किया गया था. यानी चार महीने पहले आए अंतरिम बजट की तुलना में अब पूर्ण बजट में रक्षा क्षेत्र का आवंटन 1.67 लाख करोड़ रुपये कम हो गया है. ऐसा पहली बार हुआ है, जब डिफेंस सेक्टर के बजट में इस तरह की कटौती हुई है.
 
इस तरह बढ़ रहा था रक्षा क्षेत्र पर खर्च
इससे पहले मोदी सरकार के कार्यकाल में रक्षा क्षेत्र का बजट लगातार बढ़ता गया था. इस बार के बजट से पहले पिछले चार साल में रक्षा बजट का आकार लगभग 30 फीसदी बढ़ा था. साल 2020 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए सरकार ने 4.71 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था. उसके बाद 2021 के बजट में रक्षा क्षेत्र के खर्च को बढ़ाकर 4.78 लाख करोड़ रुपये किया गया था.
*4 साल में सबसे कम हुआ रक्षा बजट*
साल 2022 के बजट में पहली बार रक्षा बजट का आकर 5 लाख करोड़ रुपये के पार निकला था और 5.25 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था. वहीं पिछले साल यानी 2023 के बजट में रक्षा क्षेत्र को मोदी सरकार ने 5.94 लाख करोड़ रुपये दिया था. चार महीने पहले आए अंतरिम बजट में तो रक्षा बजट का साइज बढ़कर 6 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया था. हालांकि इस बार रक्षा क्षेत्र को 4.54 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जो 4 साल में सबसे कम हैं. साल 2019 में रक्षा क्षेत्र को इससे भी कम 3.19 लाख करोड़ रुपये मिले थे.
 
*6 लाख करोड़ से ज्यादा की थी उम्मीद*
पिछले साल आए बजट तक देखें तो बीते 4 साल के दौरान रक्षा क्षेत्र के बजट में 6.5 फीसदी की सालाना दर (सीएजीआर) से बढ़ोतरी हो रही थी. मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की महात्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है. सरकार चाहती है कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों का ज्यादा से ज्यादा सामान खुद तैयार करे और आयात पर निर्भरता कम हो. इसके साथ ही सरकार का जोर सेनाओं के आधुनिकीकरण पर है. ऐसे में लोग रक्षा क्षेत्र का बजट 6 लाख करोड़ रुपये से तो ऊपर ही रहने की उम्मीद कर रहे थे.
 
*रेलवे सेक्टर हो गया इग्नोर, वित्त मंत्री के भाषण में सिर्फ एक बार आया जिक्र*
वित्त वर्ष 2024-25 के बजट से उम्मीद लगाए बैठे रेल यात्रियों के हाथ एक बार फिर निराशा आई है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज मंगलवार को संसद में नया बजट पेश किया. उनके बजट भाषण में रेलवे सेक्टर पूरी तरह से हााशिए पर खिसक गया और करीब डेढ़ घंटे के भाषण में सिर्फ एक बार रेलवे का जिक्र आया.
 
*साल 2016 में आया था आखिरी रेल बजट*
कुछ साल पहले तक बजट के सीजन में रेल बड़ा आकर्षण हुआ करता था. अभी बहुत समय नहीं बीता है, जब अलग से रेल बजट आया करता था और उसे खूब सुर्खियां मिली करती थीं. हालांकि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान सितंबर 2016 में रेल बजट को आम बजट में शामिल करने की मंजूरी दे दी गई. उसके बाद 2017 में जब बजट पेश हुआ तो रेल बजट उसका एक हिस्सा बन चुका था.
 
*आंध्र प्रदेश के बहाने हुआ एक बार जिक्र*
हालांकि अलग से रेल बजट समाप्त होने के बाद संयुक्त बजट में भी रेलवे की अच्छी-खासी हिस्सेदारी होती थी. बजट में रेलवे को लेकर कई बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जाता था. ऐसा पहली बार हुआ है, जब बजट में रेलवे इस तरह से हाशिए पर खिसका हो और पूरे बजट भाषण में उसके हिस्से में सिर्फ एक बार का जिक्र आया हो. दिलचस्प है कि वह एक जिक्र भी सीधे-सीधे रेलवे के कारण नहीं हुआ. वित्त मंत्री ने वह एकमात्र जिक्र आंध्र प्रदेश में इंफ्रा प्रोजेक्ट के बारे में बोलने के दौरान किया.
 
*इन उम्मीदों पर बजट में फिरा पानी*
बजट से पहले लोग रेलवे को लेकर काफी उम्मीद लगाए हुए थे. मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में रेलवे पर काफी काम भी किया है. हाल-फिलहाल में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाएं सामने आई हैं. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि बजट में रेल यात्रा को सुरक्षित बनाने संबंधी उपायों का ऐलान किया जा सकता है. वहीं रेल यात्रा से जुड़ी सालों पुरानी टिकट नहीं मिलने की समस्या के समाधान की भी उम्मीद की जा रही थी. ऐसा माना जा रहा था को मोदी सरकार बजट में नई व आधुनिक ट्रेनों की सौगात रेल यात्रियों को दे सकती है.
 
*वरिष्ठ नागरिकों-महिलाओं को रियायत नहीं*
रेल यात्रियों में वरिष्ठ नागरिकों को महिलाओं को कोविड के बाद से समाप्त रियायत बहाल होने की भी उम्मीद थी. कोविड से पहले तक वरिष्ठ नागरिकों और महिलाओं को रेल टिकट पर विशेष रियायत मिलती थी. लॉकडाउन के बाद जब दोबारा ट्रेनों का परिचालन शुरू हुआ तो इस रियायत को समाप्त कर दिया गया. ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि इस बजट में रियायतें दोबारा चालू हो सकती हैं. हालांकि सरकार ने इस मुद्दे पर अपना रुख हमेशा साफ रखा था कि उसका इरादा इन रियायतों को फिर से शुरू करने का नहीं है.
 
*जानिए किसे-कितनी राशि आवंटित की गई?*
मंत्रालय। ** राशि (करोड़ रुपए में)
वित्त मंत्रालय 1858158.52
रक्षा मंत्रालय 621940.85
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय 278000.00
रेल मंत्रालय 255393.00
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय 223323.36
गृह मंत्रालय 219643.31
ग्रामीण विकास मंत्रालय 180233.43
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय 168499.87
संचार मंत्रालय 137293.90
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय 132469.86
शिक्षा मंत्रालय 120627.87
जल शक्ति मंत्रालय 98713.78
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय 90958.63
आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय 82576.57
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 26092.19
परमाणु ऊर्जा विभाग 24968.98
श्रम और रोजगार मंत्रालय 22531.47
विदेश मंत्रालय 22154.67
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय 22137.95
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय 21936.90
ऊर्जा मंत्रालय 20502.00
नवीन और नवीकरणीय मंत्रालय ऊर्जा 19100.00
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय 16628.12
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय 15930.26
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता 14225.47
अंतरिक्ष विभाग 13042.75
आदिवासी मामलों का मंत्रालय 13000.00
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय 11469.14
भारी उद्योग मंत्रालय 7242.00
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 7137.68
कानून और न्याय मंत्रालय 6788.33
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय 5900.00
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय 5453.83
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय 4520.00
वस्त्र मंत्रालय 4417.03
सूचना और प्रसारण मंत्रालय 4342.55
आयुष मंत्रालय 3712.49
युवा मामले एवं खेल मंत्रालय 3442.32
पर्यावरण, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय जलवायु परिवर्तन 3330.37
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय 3290.00
संस्कृति मंत्रालय 3260.93
अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय 3183.24
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 3064.80
कॉर्पोरेट मामले मंत्रालय 2667.06
पर्यटन मंत्रालय 2479.62
कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय 2379.87
बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय 2377.49
नागरिक उड्डयन मंत्रालय 2357.14
खान मंत्रालय 1941.06
राष्ट्रपति, संसद, संघ लोक सेवा आयोग और उपराष्ट्रपति का सचिवालय 1884.92
पंचायती राज मंत्रालय 1183.64
सहकारिता मंत्रालय 1183.39
योजना मंत्रालय 837.26
इस्पात मंत्रालय 325.66
कोयला मंत्रालय 192.55
संसदीय मामलों का मंत्रालय 64.00
कुल योग 4820512.08.
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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