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खाइए मगर स्वादानुसार, 5 ग्राम नमक, 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा, आईसीएमआर की नई गाइडलाइंस
गाइडलाइंस में रेगुलर 5 ग्राम से अधिक नमक (2 ग्राम सोडियम) को भी ज्यादा बताया गया है
नई दिल्ली, 31 मई 2024 (यूटीएन)। 5 ग्राम नमक, 10 ग्राम फैट और 25 ग्राम चीनी भी ज्यादा है। यह इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च की यह नई गाइडलाइंस हैं। अगर आप अपने खाने में नमक, चीनी, फैट को कंट्रोल कर लेते हैं, तो बहुत हद तक बीमारियों को टालने में सक्षम हो सकते हैं। वरना ज्यादा नमक, चीनी और फैट न केवल बीमारी की वजह बन सकते हैं, बल्कि यह मौत का भी कारण हो सकते हैं। इसी संदर्भ में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने हाल ही में गाइडलाइंस जारी की हैं, जिसमें चीनी, नमक, फैट और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड से होने वाले खतरे का संज्ञान लेते हुए रेगुलर खाने में 5 ग्राम नमक और 25 ग्राम चीनी को भी ज्यादा माना गया है।
भारतीयों के लिए खाने संबंधी जारी गाइडलाइंस के हिसाब से हर दूसरा व्यक्ति अधिक चीनी नमक और तेल को भोजन में शामिल कर रहा है, जो उसे भविष्य में बहुत बीमार कर सकता है। चीनी, नमक, तेल और संरक्षित डिब्बा बंद खाने और कोल्ड ड्रिंक के भी खतरे कम नहीं हैं। फिट रहना है तो खाने में चीनी, नमक और तेल की मात्रा कम ही रखें। इसके साथ ही अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड जैसे सॉफ्ट ड्रिंक, कुकीज, पेस्ट्री आदि भी सेहत के लिए नुकसानदायक हैं। खाने की यह सभी चीजें आपको बीपी, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियां दे रही हैं।
*कितना नमक ज्यादा?*
गाइडलाइंस में रेगुलर 5 ग्राम से अधिक नमक (2 ग्राम सोडियम) को भी ज्यादा बताया गया है। पैकेट बंद चिप्स, सॉस, स्नैक्स, नमकीन आदि मानक से कहीं अधिक नमक का प्रयोग करते हैं।
*हाई सॉल्ट वाले फूड*
प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड में नमक की मात्रा अधिक होती है। इनमें चिप्स, सॉस, बिस्किट, बेकरी प्रोडक्ट्स और पका कर पैक किए जाने वाले फूड आइटम्स जैसे नमकीन, स्नैक्स, पापड़, अचार में नमक की मात्रा ज्यादा होती है। इन्हें अधिकतर लोग अपने घरों में तैयार करते हैं और अपने अनुसार नमक मिलाते हैं।
*ज्यादा चीनी खतरनाक*
दिनभर में अगर दो हजार कैलरी ली जा रही है, तो उसमें 25 ग्राम कैलरी ही चीनी की होनी चाहिए। इससे अधिक चीनी नुकसानदेह हो सकती है। संभव हो तो एडेड शुगर (सिरप या तरल पेय के रूप में खाने में अलग से मिलाई जाने वाली शुगर) को खाने से बिल्कुल हटा दें। गाइडलाइंस के अनुसार, चीनी का सेवन, कुल एनर्जी के 5 पर्सेंट या 25 ग्राम प्रति दिन (2,000 किलो कैलरी प्रतिदिन के औसत सेवन के आधार पर) से अधिक होता है तो इसे हाई शुगर की श्रेणी में रखा जाता है।
*सॉलिड (ठोस) खाने के लिए*
*चीनी की लिमिट:*
*5% एनर्जी एडेड शुगर से होती है, कुल चीनी से 10% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।*
*फैट की लिमिट:*
*15% एनर्जी एडेड फैट से होती है, कुल फैट से 30% से ज्यादा एनर्जी नहीं होना निर्धारित किया गया है।*
*ड्रिंक्स (लिक्विड) के लिए:*
*चीनी की लिमिट: 10% एनर्जी जोड़ी गई चीनी से और कुल चीनी (फलों के रस/दूध में मौजूद चीनी सहित) से 30% एनर्जी से अधिक नहीं होना निर्धारित किया गया है।*
*फैट की लिमिट:*
*15% एनर्जी जोड़ी गई फैट से और कुल फैट से 30% ऊर्जा से अधिक नहीं हो, यह निर्धारित किया गया है।*
विश्व स्वास्थ्य संगठन अपनी सिफारिश को संशोधित करने पर विचार कर रहा है और चीनी से कैलरी को 5 पर्सेंट से कम करने की योजना बना रहा है। चीनी को 25 ग्राम तक रोजाना तक सीमित करना स्वास्थ्य के लिए बेहतर है। अगर संभव हो, तो ऊपर से ली जाने वाली चीनी को पूरी तरह से अपने डाइट में खत्म कर सकते हैं। जो चीनी स्वाभाविक रूप से खाने-पीने की चीजों में होती है, उसे प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाले शुगर यानी चीनी कहा जाता है, जैसे मोनोसैकेराइड सिंपल शुगर है, जिसमें सिंगल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे फलों में ग्लूकोज या फ्रुक्टोज। डिसैकेराइड्स दो सिंपल शुगर मॉलीक्यूल होते हैं, जैसे सुक्रोज (चीनी) या दूध में लैक्टोज।
*अलग से मीठा नुकसानदायक*
एडेड या अतिरिक्त शुगर उसे कहा जाता है, जिसमें एक्स्ट्रा मिलाया जाता है। इसका सोर्स टेबल शुगर भी है। इसके अलावा गुड़, शहद, ग्लूकोज, फ्रूटोज आदि का एडेड शुगर के तौर पर इस्तेमाल होता है। इससे कैलरी की मात्रा बढ़ जाती है। चिंता की बात यह है कि इनसे कैलरी के अलावा कोई न्यूट्रिशयन नहीं मिलता है। कैलरी केवल तभी हेल्दी होती है, जब उसके साथ विटामिन, खनिज और फाइबर भी हों।
रिसर्च के अनुसार, नियमित रूप से ली जाने वाले शुगर के विकल्प जैसे स्पाटम, सैकरीन, शुगर अल्कोहल आदि का भी लंबे समय तक प्रयोग से मोटापा, डायबिटीज और हाइपरटेंशन हो सकते हैं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं और बच्चों को कृत्रिम शुगर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह पेट के लाभदायक वायरस फ्लोरा को डैमेज करती है।
*खाने में तेल पर रखें नज़र*
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, खाने में कुल एनर्जी में फैट या वसा की मात्रा 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। प्राकृतिक रूप से खाने की सभी चीजों मे 15 प्रतिशत तेल मौजूद रहता है, जिसके कई तरह के लाभ होते हैं। इसके अतिरिक्त केवल 15 प्रतिशत वसा या तेल और प्रयोग किया जा सकता है, इससे अधिक नहीं।
*हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट क्या है*
हाई इन फैट, सुगर एंड सॉल्ट हैं। इसलिए एच एफ एस एस ऐसे फूड प्रोडक्ट को कहा जाता है, जिनमें किसी भी खाना पकाने वाले वनस्पति तेल, घी, मक्खन (दिखाई देने वाली या जोड़ी गई तेल/ वसा) आदि से 15 प्रतिशत से अधिक ऊर्जा मिलती है। दूसरे शब्दों में, वे खानपान, जो 2000 किलो कैलरी के आहार के लिए हर दिन 30 ग्राम से अधिक दिखाई देने वाली या ऐड की गई तेल या फैट होता है। हाई फैट वाले फूड प्रोडक्ट्स को सभी डीप-फ्राइड करके तैयार किया जाता है।
इनमें फ्रेंच फ्राइज, समोसा, कचौड़ी, पूरी, नमकीन, मिठाई, बिस्किट, कुकीज, केक, परांठे या यहां तक कि कुछ करी शामिल हैं। जब रोजाना 10 ग्राम से अधिक विजुअल सैचुरेटेड फैट (2000 किलो कैलरी आहार के लिए) घी, मक्खन के रूप में या स्नैक्स या मिठाई की तैयारी में ताड़ के तेल, नारियल तेल के अत्यधिक उपयोग के कारण सेवन किया जाता है, तो एस एफ का उपयोग उच्च माना जाता है।
*पैकेट वाला खाना भी ठीक नहीं*
डिब्बाबंद खाने को अधिक दिन तक चलाने के लिए उसे अल्ट्रा प्रोसेस्ड किया जाता है। इसे कई तरह से प्रोसेस किया जाता है। प्राइमरी, सेकंडरी, मिनिमम प्रोसेस्ड और अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड, प्राइमरी प्रोसेसिंग में बेसिक क्लिनिंग, ग्रेडिंग और पैकिंग को शामिल किया जाता है। सेकंडरी प्रोसेसिंग खाद्य पदार्थों के प्रयोग से ठीक पहले की अवस्था होती है। चावल के खेतों को सेकंडरी प्रोसेसिंग के तहत पैक किया जाता है। वहीं रेडी टु ईट खाने की चीजें टेरिटरी प्रोसेसिंग की श्रेणी में आती हैं।
बेकरी प्रोडक्ट्स, इंस्टेंट फूड और हेल्थ ड्रिंक इसी श्रेणी में आते हैं। अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड को एक प्रक्रिया के तहत कई तरह के संरक्षित चीजों (कृत्रिम शुगर, रंग और फ्लेवर) के साथ पैक किया जाता है, ताकि अधिक दिन तक खराब न हों। इससे खाद्य पदार्थों की सेल्फ लाइफ को बढ़ जाती है, लेकिन वे सेहत के लिए हानिकारक हो जाते हैं।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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