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कारगिल विजय दिवस: 25 साल पहले पिता ने पाकिस्तान को धूल चटाई और अब बेटा कमान संभाले बैठा है

कारगिल विजय दिवस भारत के 140 करोड़ लोगों को गर्व महसूस कराने वाला दिन है

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Sat, Jul 27, 2024 8:11 AM

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admin

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नई दिल्ली, 27 जुलाई  2024 (यूटीएन)। कारगिल विजय दिवस भारत के 140 करोड़ लोगों को गर्व महसूस कराने वाला दिन है। हर साल 26 जुलाई को यह दिन पूरा देश सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन 1999 में कारगिल युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को हराया था। यह युद्ध लगभग 60 दिनों तक चला था। यह दिवस उन सभी वीर भारतीय सैनिकों को याद करने के लिए मनाया जाता है जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।
 
कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता दिखाने वाली 8 माउंटेन डिवीजन के लिए यह साल खास है। 25 साल पहले इस डिवीजन ने दुश्मनों को धूल चटाई थी। अब इसी डिवीजन की कमान मेजर जनरल सचिन मलिक संभाल रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि कारगिल युद्ध के वक्त उनके पिता पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक सेनाध्यक्ष थे। जनरल वीपी मलिक ने अपने करियर में 8 माउंटेन डिवीजन का नेतृत्व किया था।
 
*भारत का सबसे यादगार युद्ध*
 
कारगिल युद्ध भारत के लिए एक यादगार जीत थी। यह युद्ध दुनिया के सबसे कठिन ऊंचाई वाले युद्धों में से एक था। 8 माउंटेन डिवीजन ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। जनरल वीपी मलिक के नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ बाहर किया था। यह जीत भारतीय सेना की वीरता और साहस का प्रतीक है। मेजर जनरल सचिन मलिक के 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने से इस डिवीजन का गौरव और बढ़ गया है। पिता और पुत्र, दोनों का इस डिवीजन से गहरा नाता रहा है।
 
*25वीं वर्षगांठ*
 
जनरल वीपी मलिक ने 25वीं वर्षगांठ पर युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने कहा, 'यह 25वीं वर्षगांठ है, जो एक विशेष अवसर है। मैं हमेशा यहां युद्ध में शहीद हुए अधिकारियों और जवानों को श्रद्धांजलि देने और हमारी सेना द्वारा किए गए सभी अच्छे कार्यों को याद करने आता हूं।' इस बार यह मौका और भी खास बन गया क्योंकि सचिन भी इस मौके पर मौजूद थे। सचिन उसी डिवीजन की कमान संभाल रहे हैं जहां जनरल मलिक ने युद्ध लड़ा था। जनरल मलिक ने कहा, 'इस साल यह इसलिए भी खास हो गया है क्योंकि सचिन यहां है और वह उसी डिवीजन की कमान संभाल रहा है जहाँ मैंने युद्ध लड़ा था, उसी जगह पर जहाँ हमने युद्ध लड़ा था।'
 
8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाला बड़ी चुनौती
 
मेजर जनरल सचिन मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान की चुनौतियों पर बात की। 8 माउंटेन डिवीजन नियंत्रण रेखा पर कठिन परिस्थितियों में काम करता है। मेजर जनरल मलिक इसे एक सौभाग्य और एक बड़ी जिम्मेदारी मानते हैं। उन्होंने कहा, 'मैं इसे एक सौभाग्य के साथ-साथ एक बड़ी जिम्मेदारी के रूप में देखता हूं।' मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभाली है। यह डिवीजन 1963 से हमेशा ऑपरेशन में रही है, इसलिए इसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' कहा जाता है।
 
कारगिल युद्ध की 25वीं वर्षगांठ पर, मेजर जनरल मलिक ने कहा कि उनकी डिवीजन के अधिकांश सैनिक नियंत्रण रेखा पर तैनात हैं। ऐसा इसलिए है ताकि दोबारा कारगिल जैसी कोई घटना न हो सके। उन्होंने कहा कि यह बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। इन चोटियों पर बहुत खून बहा है। हम कभी किसी को दोबारा ऐसा करने नहीं देंगे। हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। कभी भी किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि ऐसा दोबारा कभी न हो।
 
ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है'
 
मेजर जनरल मलिक ने 8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालने को एक बड़ा सम्मान बताया है। उन्होंने कहा, '8 माउंटेन डिवीजन की कमान संभालना एक बहुत बड़ा सम्मान है, जिसे 'फॉरएवर इन ऑपरेशन्स' डिवीजन के रूप में जाना जाता है- यह अपनी स्थापना (1963 में) के समय से ही हमेशा ऑपरेशन में रही है।' उन्होंने आगे कहा, 'जब हम कारगिल युद्ध की रजत जयंती मना रहे हैं, तो हमें यह याद रखना होगा कि मेरे डिवीजन का बड़ा हिस्सा नियंत्रण रेखा पर तैनात है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसा कुछ दोबारा न हो।
 
' उन्होंने इस जिम्मेदारी को महत्वपूर्ण बताया। उनके अनुसार, 'पहली बात जो दिमाग में आती है वह है भारी जिम्मेदारी। ये चोटियां... इन पर बहुत खून बहाया गया है और ऐसा कोई तरीका नहीं है जिससे हम कभी भी किसी को दोबारा ऐसा करने दें। इसलिए हमें हमेशा पूरी तरह से सतर्क रहना होगा, हमें हर चीज के लिए तैयार रहना होगा और हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि उस प्रकृति का कुछ भी दोबारा न हो।' फरवरी में मेजर जनरल सचिन मलिक ने माउंटेन डिवीजन के 42वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग का पद संभाला।
 
*पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े*
 
कारगिल युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच लड़ा गया था। पाकिस्तान से घुसपैठियों ने एल ओ सी के भारतीय हिस्से पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना और वायु सेना ने बहादुरी से उनसे मुकाबला किया और कई सामरिक चौकियों पर फिर से कब्जा कर लिया। इससे घुसपैठियों को बाकी चौकियों से पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा।
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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