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हाइपरटेंशन के शिकार डॉक्टरों ने बताया कैसे करें बचाव

एम्स की तरफ से हाइपरटेंशन को लेकर जागरूकता लाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया

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Publised at

Sat, May 25, 2024 2:38 PM

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admin

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नई दिल्ली, 25 मई 2024  (यूटीएन)। जब कभी आप डॉक्टर के पास किसी बीमारी के इलाज या परामर्श के लिए जाते हैं तो वह सबसे पहले आपका बीपी चेक करते हैं. क्योंकि आजकल ज्यादातर लोगों में हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की परेशानी आम है. हाइपरटेंशन को साइलेंट किलर माना जाता है जो व्यक्ति के शरीर को अंदर ही अंदर काफी नुकसान पहुंचाता है. हाइपरटेंशन से बचाव के लिए दिल्ली स्थित एम्स 17 मई से 25 मई तक हाइपरटेंशन सप्ताह मना रहा है. जिसके तहत अस्पताल में आए मरीज और उनके परिजनों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक किया जा रहा है. एम्स की तरफ से हाइपरटेंशन को लेकर जागरूकता लाने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया.
 
जिसमें डॉक्टरों ने इस बीमारी के कारण, लक्षण और इससे बचाव के बारे में काफी विस्तार से बताया. डॉक्टरों ने बताया कि देश में हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए एम्स कई योजनाएं बना रहा है. आने वाले समय में लोग आसानी से हाइपरटेंशन का इलाज करवा सकेंगे. उन्होंने कहा कि हाइपरटेंशन बीमारी का इलाज काफी कम दाम पर किया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक भारत में लगभग 22 करोड़ वयस्कों को उच्च रक्तचाप है और युवाओं में हाई बीपी की बढ़ती प्रवृत्ति देखने को मिल रही है.
 
मीडिया से बात करते हुए एम्स की डॉक्टर किरण गोस्वामी ने बताया कि आज युवाओं में हाइपरटेंशन की बीमारी ज्यादा देखी जा रही है. उन्होंने बताया कि इसका सबसे बड़ा कारण धूम्रपान, तंबाकू का सेवन, अपने खाने में अधिक नमक का सेवन, शारीरिक गतिविधि की कमी, अधिक वजन, तला भुना भोजन, फल और सब्जियों का कम सेवन और तनाव जैसे कई मुख्य कारण हैं. भोजन में हरी सब्जियों और फलों को शामिल कर, रूटीन में व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों को शामिल कर व तनाव से बचने जैसी आदतें अपनाकर हाइपरटेंशन से बचा जा सकता है.
 
*इस नई व्यवस्था से डॉक्टरों का दबाव होगा कम*
 
राजधानी के बड़े और नामी अस्पताल एम्स में जल्द ही फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्तियां की जाएंगी. ये नियुक्तियां डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के उद्देश्य से की जा रही है. एम्स दिल्ली में रेजिडेंट डॉक्टरों के काम के दबाव को कम करने के लिए फ्लेबोटोमिस्ट नियुक्त किए जाएंगे. फ्लेबोटोमिस्ट उस स्टाफ को कहते हैं जो मरीजों को ग्लूकोज चढ़ाने और इंजेक्शन देने तक का कम करते हैं. इनकी अनुपस्थिति में ये काम रेजिडेंट डॉक्टरों को ही करना पड़ता है.
 
इन कार्यों के दबाव के कारण वो मरीजों के इलाज पर पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाते हैं. इसलिए एम्स के कई रेजिडेंट डॉक्टरों, फैकल्टी और अन्य कर्मचारियों की ओर से लंबे समय से इन नियुक्तियों की मांग की जा रही थी. फ्लेबोटोमिस्ट की नियुक्ति के लिए एम्स के डायरेक्टर से कई बार मांग की गई, क्योंकि इससे डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों के लिए पर्याप्त समय की बचत हो सकती है. इसलिए एम्स दिल्ली में आउट सोर्सिंग के आधार पर फेलोबॉमी सेवा लेने के लिए खुली निविदा आमंत्रित किया गया है.
 
इस संबंध में चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया गया है. इस आउटसोर्स सेवा प्रदाता कंपनी से अपेक्षा की जाएगी कि वे निर्धारित रोगी क्षेत्रों से दिन में कम से कम एक बार नियमित रक्त नमूना संग्रह के लिए पर्याप्त संख्या में फ्लेबोटोमिस्टों की नियुक्ति करें. आपातकालीन विभागों में चौबीस घंटे आधार पर फ़्लेबोटॉमी सेवाएं प्रदान करें.
 
*फ्लेबोटोमिस्ट की गैरमौजूदगी में रेजिडेंट डॉक्टर करेंगे ये काम*
 
बारकोड करना और एकत्र किए गए नमूनों को एम्स के भीतर संबंधित प्रयोगशालाओं तक पहुंचाना फ्लेबोटोमिस्ट की मुख्य जिम्मेदारी है. हालांकि, फ्लेबोटोमी की कला और विज्ञान सीखना रेजिडेंट डॉक्टर के कर्तव्यों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है, फ़्लेबोटोमिस्टों को शामिल करने का इरादा केवल रेजिडेंट डॉक्टरों और नर्सिंग अधिकारियों पर भार कम करना है ताकि वे अन्य रोगी देखभाल पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें.
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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