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एक बिहारी सब पर भारी'! 'भैया जी' के रोल में मनोज बाजपेयी ने जीता दिल
सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है, ऐसे में चलिए आपको उनकी इस मूवी के बारे में बताते हैं
नई दिल्ली, 25 मई 2024 (यूटीएन)। बड़े बुजुर्गों के मुंह से एक कहावत तो आप सभी ने सुनी होगी कि जब शरीफ आदमी अपनी शराफत छोड़ता है तो बवाल ही मचाता है। वहीं, दूसरी कहावत ये भी सुनी होगी कि घायल शेर हमेशा ही ज्यादा खतरनाक होता है। अब आपको लग रहा होगा कि हम आपको ये कहावतें क्यों बता रहे हैं। दरअसल, मनोज बाजपेयी की फिल्म 'भैया जी' पर ये दोनों ही कहावतें एक दम सटीक बैठती हैं। हालांकि, पहली कहावत में थोड़ा सा बदलाव है।
क्योंकि मनोज फिल्म में पहले से शरीफ होते नहीं हैं, वो बाद में बनते हैं। वो हमेशा से ही शरीफों के लिए शरीफ और बदमाशों के लिए बदमाश होते हैं। उनकी फिल्म 'भैया जी' कुछ ऐसी ही है। इसमें दमदार एक्शन सीक्वेंस, इमोशन और रोंगटे खड़े कर देने वाले सीन्स हैं। इसे सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया है। ऐसे में चलिए आपको उनकी इस मूवी के बारे में बताते हैं।
*कैसी है 'भैया जी' की कहानी?*
'भैया जी' की कहानी की शुरुआत बिहार से होती है, जहां रहते हैं राम चरण त्रिपाठी यानी कि भैया जी (मनोज बाजपेयी)। यहां मनोज का रौला तो गांव में ही नहीं बल्कि पूरे जिले और राज्य में होता है। उनका नाम सुनते ही लोग थर्र-थर्र कांपते हैं। यहां तक कि गुंडों और पुलिस अफसरों तक की पैंट गीली हो जाती है। शुरुआत में तो मनोज को फिल्म में काफी शरीफ दिखाया गया जाता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है तो उनका रौला भी दिखता है और स्वैग भी। वो अपने परिवार, अपने लोगों और समाज के लिए जीते हैं।
लेकिन, बाद में कहानी कुछ ऐसा टर्न लेती है कि उन्हें अपने पुराने रूप में लौटना पड़ता है। एक प्रतिशोध की आग भभकती है और कहानी में ट्विस्ट लाती है। हालांकि, कहानी काफी कमजोर लगती है क्योंकि आप ऐसी कहानियों को पहले भी देख चुके हैं। जहां बदले की भावना को दिखाया गया हो। मगर, इसे दिखाने का तरीका जरा अलग है। कहानी में बिहारी टच है और दिल्ली-हरियाणा का भी टच दिखाया गया है। कमजोरा कहानी के साथ आपको दमदार एक्शन देखने के लिए मिलता है, जिसकी वजह से आप इसे इन्जॉय कर पाएंगे।
*मनोज बाजपेयी ने जीता दिल*
इसके साथ ही बात की जाए 'भैया जी' में एक्टर्स की एक्टिंग की तो इसमें मनोज बाजपेयी ने 'भैया जी' के रोल में फैंस और दर्शकों का दिल जीत लिया। आपने एक कहावत और सुनी होगी 'एक बिहारी सब पर भारी'। अब ये कहावत फिल्म में मनोज पर एकदम फिट बैठती है। उनके इस किरदार को देखने के बाद आप ये कहने पर मजबूर हो जाएंगे कि उनके अलावा कोई और एक्टर इस रोल को प्ले नहीं कर सकता था। आपने देखा होगा कि हीरो के पास सिक्स पैक एब्स है और वो दमदार एक्शन कर रहा है लेकिन, यहां मनोज के पास ऐसा कुछ नहीं है।
उन्होंने बिहार के उस दबंग भैया जी का रोल प्ले किया है, जिसके पास सिक्स पैक एब्स और बॉडी नहीं बल्कि जिगर होता है। बिहारी होने और एक मंझे हुए कलाकार होने के नाते उन्होंने भैया जी के किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है।वहीं, फिल्म में बाकी के किरदारों की बात की जाए तो एक्ट्रेस जोया हुसैन ने लाइमलाइट ही चुरा ली है।
वो इसमें मनोज बाजपेयी की लेडी लव बनी हैं मगर, एक्शन कर दर्शकों का दिल भी जीत लेती हैं। कहीं ना कहीं फिल्म में जोया का एक्शन मनोज के एक्शन सीन पर भारी पड़ता दिखता है। इसके साथ ही सुविंदर विक्की और जतिन गोस्वामी भी नेगेटिव भूमिका में खूब जंचते हैं। वहीं, विपिन शर्मा अपने किरदार से दर्शकों को गुदगुदाते हैं। स्क्रीन स्पेस उनका खास नहीं है लेकिन जितना भी है कमाल का है।
*फर्स्ट हाफ स्लो तो सेकंड हाफ में पलक भी नहीं झपका पाएंगे*
अब अगर 'भैया जी' के डायरेक्शन की बात की जाए तो इसका निर्देशन अपूर्व सिंह कार्की ने किया है। वो मनोज के साथ फिल्म 'एक बंदा काफी है' में काम कर चुके हैं। 'भैया जी' के जरिए दोनों ने दूसरी बार साथ काम किया है। अपूर्व इसे दो घंटे में ही खत्म कर सकते थे। फिल्म की कुछ कड़ी ऐसी है, जिसे देखने के बाद लगता ही नहीं है कि उसकी ज्यादा जरूरत थी। इसके साथ ही फिल्म का फर्स्ट हाफ काफी स्लो होता है। एक कड़ी ऐसी आती है, जिसमें लगता है कि इंटरवल हो गया लेकिन असल में वो होता नहीं है।
फर्स्ट हाफ में समझ नहीं आता है कि क्या, क्यों और कैसे हो गया। कहानी आगे बढ़ती है और सेकंड हाफ आता है तो मजा आना शुरू हो जाता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि अपूर्व ने अच्छा निर्देशन किया है, मगर कुछ कमियों को भी नकारा नहीं जा सकता है।
*मनोज तिवारी ने फूंकी जान*
अब आते हैं फिल्म 'भैया जी' के गाने और म्यूजिक पर। इसके गाने और म्यूजिक तो कमाल के हैं, जो आपको रिजनल सिनेमा से जोड़ता है। हिंदी के साथ भोजपुरी का टच कमाल का दिया हुआ है। फिल्म की शुरुआत में ही समा बंध जाता है। पहला ही आइटम सॉन्ग 'चक्का जाम हो जाई' आता है तो आप झूमने पर मजबूर हो जाते हैं। इसमें आपको बिहार के रीति-रिवाज भी देखने के लिए मिलते हैं, जो फिल्म की कहानी से आपको जोड़ने का काम करते हैं। वहीं, फिल्म में मनोज तिवारी ने जान ही फूंक दी है।
उनकी आवाज में दो गाने 'कौने जनम के बदला' और 'बाघ के करेजा' गाया है। 'कौने जनम के बदला' जहां इमोशनल गाना है और दिल को छूता है वहीं, 'बाघ के करेजा' रोम-रोम में जोश भर देता है और कहानी की कड़ी को मजबूत बनाता है। इसके साथ ही बैकग्राउंड म्यूजिक की बात की जाए तो ये भी कमाल का है, जो फिल्म से जोड़ता है। फिल्म की हर कड़ी से इसका म्यूजिक आपको कनेक्ट करता है। कुल मिलाकर आप बिना फिल्म देखे अपनी कुर्सी नहीं छोड़ पाएंगे।
*फिल्म देखनी चाहिए या नहीं*
अंत में फिल्म 'भैया जी' की बात की जाए कि इसे देखना चाहिए या नहीं तो आपको बता दें कि आप इसे देख सकते हैं। फुल पैसा वसूल मूवी है। इसमें मनोज बाजपेयी का एक्शन अवतार है। साथ ही ये उनकी 100वीं फिल्म भी है। अगर आप मनोज की एक्टिंग के मुरीद हैं तो इस मूवी को जरूर पसंद करेंगे। साथ ही उनका एक्शन अवतार और बिहार की दबंगई आपको खूब पसंद आएगी। फिल्म फैमिली एंटरटेनर है। एक्शन है मगर खून-खराबे की भरमार नहीं है।
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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