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अध्ययन: 81 नदियों व सहायक जलधाराओं को जहरीला बना रहीं भारी धातुएं

नदियों से लिए पानी के नमूनों में आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, लोहा, सीसा, पारा और निकल जैसी जहरीली धातुओं का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया

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Publised at

Fri, Nov 29, 2024 7:08 AM

by

Pradeep Jain

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नई दिल्ली, 29 नवंबर 2024 (यूटीएन)। देश की 81 नदियों और उसकी सहायक जल धाराओं में एक या उससे अधिक हानिकारक भारी धातुओं (हैवी मेटल्स) का स्तर बहुत अधिक है। 22 नदियों और उसकी सहायक जलधाराओं में दो या उससे अधिक हानिकारक धातुओं की मौजूदगी की पुष्टि हुई है। इन नदियों से लिए पानी के नमूनों में आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, लोहा, सीसा, पारा और निकल जैसी जहरीली धातुओं का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया है।
 
*सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट*
यह जानकारी केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) की स्टेटस ऑफ ट्रेस एंड टॉक्सिक मेटल इन रीवर्स ऑफ इंडिया नामक रिपोर्ट के अनुसार नदियों और जलधाराओं में भारी धातुओं की व्यापक मौजूदगी का पता चला है। देश की दस नदी घाटियों के पानी में नौ हानिकारक धातुओं की जांच की गई थी। इससे पता चला है कि 14 नदियों के 30 स्टेशनों पर आर्सेनिक मौजूद है जबकि 11 नदियों में 18 जगहों पर पारा और 16 नदियों के नमूनों में क्रोमियम की पुष्टि हुई है। दिल्ली में यमुना नदी के पल्ला स्टेशन से लिए नमूने में पारे का स्तर निर्धारित सुरक्षित सीमा से नौ गुना अधिक था।
 
*गंगा बेसिन की हालत बेहद खराब*
रिपोर्ट के अनुसार गंगा बेसिन की हालत बेहद खराब है। यहां सबसे ज्यादा स्टेशनों की मदद से जल गुणवत्ता की निगरानी की जाती है। गंगा बेसिन में निगरानी की गई 161 जगहों में से लगभग 123 यानी करीब 75 फीसदी जगहों पर धातुओं का स्तर सुरक्षित सीमा से अधिक पाया गया। गंगा के पानी में आर्सेनिक, सीसा, लोहा और तांबा की मौजूदगी पता चला है। इसी तरह भागीरथी नदी पर स्थित  उत्तरकाशी स्टेशन परआर्सेनिक, सीसा और लोहे का स्तर सुरक्षित सीमा से ज्यादा था।
 
*141 में से 104 स्टेशनों पर कोई न कोई हानिकारक धातु*
रिपोर्ट के अनुसार 141 स्टेशनों में से 104 स्टेशनों पर एक न एक हानिकारक धातु भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित सुरक्षित सीमा से ज्यादा पाई गई। इनमें आर्सेनिक, कैडमियम, क्रोमियम, तांबा, लोहा, सीसा, पारा और निकल जैसी जहरीली धातुओं का स्तर तय सीमा से अधिक था। 49 स्टेशनों पर तो लोहे का स्तर तय सीमा से काफी ज्यादा था। इसी प्रकार 9 नदियों और उनकी सहायक जलधाराओं पर मौजूद 17 स्टेशनों पर आर्सेनिक का स्तर सुरक्षित सीमा से ज्यादा मिला। इनमें से 13 स्टेशन यानी 76 फीसदी यूपी में गंगा और गोमती नदियों पर हैं।
 
*पौधों व जीवों के लिए बेहद खतरनाक*
रिपोर्ट के अनुसार कृषि पद्धतियों की वजह से भी यह धातुएं पर्यावरण का हिस्सा बन रही हैं। इसमें लैंडफिल, अपशिष्ट डंप और पशु खाद से होने वाले रिसाव के साथ कारों और सड़कों के निर्माण से पैदा होने वाला दूषित पानी शामिल है। यह हानिकारक धातुएं जब पानी में सुरक्षित सीमा से ऊपर होती हैं तो वे पौधों और जीवों के लिए गंभीर खतरा बन सकती हैं, क्योंकि वे आसानी से विघटित नहीं होतीं। भारी धातुओं से दूषित मिट्टी में पैदा अनाज और सब्जी सेहत के लिए भी गंभीर खतरा हैं।
 
विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |

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