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○ एम्स में बच्चों के मायोपिया के इलाज के लिए स्पेशल क्लिनिक
○ पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू
○ आदिवासी समुदायों की प्रगति राष्ट्रीय प्राथमिकता: राष्ट्रपति
○ पर्यावरण प्रदूषण के कारण लगे प्रतिबंधों का कोई असर नहीं, वाहनों व उद्योगों में काम भवननिर्माण भी पूर्ववत्
○ धर्मावलंबियों ने देव दीपावली पर जलाए दीये, देवी- देवताओं की गई पूजा -अर्चना
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National
एम्स में बच्चों के मायोपिया के इलाज के लिए स्पेशल क्लिनिक
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2024 (यूटीएन)। बच्चों की आंखों में होने वाली मायोपिया की बीमारी के इलाज के लिए एम्स में स्पेशल क्लिनिक की शुरुआत की गई है। गुरुवार को एम्स के डायरेक्टर डॉ. एम. श्रीनिवास और सेंटर के चीफ डॉ. जे. एस. तितियाल ने क्लिनिक का उ‌द्घाटन किया। डॉ. तितियान ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बच्चों में मायोपिया की समस्या तेजी से बढ़ी है। स्कूल में दौरे के दौरान करीब आधे बच्चों की आंखों पर चश्मा दिखाई देता है। यह चिंता का विषय है। इस समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए आरपी सेंटर में यह क्लिनिक खोला गया है। इसमें बच्चों को एक छत के नीचे जांच और इलाज मिलेगा। साथ ही इससे रिसर्च में भी मदद मिलेगी। डॉ. रोहित सक्सेना ने कहा कि ओपीडी में हर रोज ऐसे बच्चे आ रहे हैं, जिनमें मायोपिया है। एम्स में ऐसे एक हजार बच्चे फॉलोअप में है। इस क्लिनिक के शुरू होने के बाद बच्चों की जांच, परिवार को सही सलाह दी जा सकेगी। क्लिनिक में 5 से 18 साल तक के बच्चों की जांच होगी। मौजूदा समय में करीब 20 फीसदी बच्चों में यह समस्या है। डॉ. तितियाल ने कहा कि बच्चों को स्कूल में एक घंटे का ब्रेक मिलना चाहिए, ताकि वो कमरे से बाहर हों, धूप में रहें, खेल सकें। हर स्कूल में बच्चों की आंखों की जांच होनी चाहिए। तीसरी और 5वीं क्लास में बच्चों की आंखों की जांच हो। कोविड के दौरान बच्चों में मोबाइल इस्तेमाल के मामले बढ़े। इसमें इतना इजाफा हुआ कि मायोपिया के मामले बढ़ने लगे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि बच्चों की आंखों की जांच के लिए स्पेशल क्लिनिक हो। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Nov 16, 2024
पीएम मोदी ने जनजातीय संस्कृति से दुनिया को कराया रूबरू
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2024 (यूटीएन)। प्रधानमंत्री मोदी का भारत के जनजातीय समुदाय के साथ बेहद व्यक्तिगत संबंध है. फिर चाहे किसी आदिवासी के घर में चाय सांझा करना हो, उनके त्योहार मनाना हो या फिर गर्व के साथ उनकी पोशाक पहनना हो. वह ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो आदिवासी समुदाय के साथ इतने घनिष्ठ संबंध रखते हैं. उन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आदिवासी समुदायों की आवाज और उनकी विरासत को आगे बढ़ाया है. *पीएम मोदी ने विश्व नेताओं को भेंट किए जनजातीय तोहफे* पीएम मोदी ने झारखंड की सोहराई पेंटिंग रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भेंट की. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कुक आइलैंड्स और टोंगा के नेताओं को डोगरा कला में बनी कलाकृदितियां तोहफे के रूप में दी. मध्यप्रदेश की गोंड पेंटिंग उन्होंने ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा को दी. उज्बेकिस्तान और कोमोरोस के नेताओं को पीएम मोदी ने महाराष्ट्र की वार्ली पेंटिंग उपाहर के रूप में दी. जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए दिए गए जीआई टैग जनजातीय विरासत को बढ़ावा देने के लिए जीआई टैग दिए गए हैं. वोकल फॉर लोकल पहल के तहत आदिवासियों कारिगरों को सशक्त बनाने की कोशिश की जा रही है. 75 से अधिक जनजातीय उत्पादों को आधिकारिक तौर पर टैग किया गया है. इनमें निम्न उत्पाद शामिल हैं - असम की जापी यानि बांस की टोपी. ओडिशा की डोंगरिया कोंध शॉल.अरुणाचल की याक चुरपी.ओडिशा में लाल बुनकर चींटियों से बनी सिमिलिपाल काई चटनी. बोडो समुदाय का पारंपरिक बुना हुआ कपड़ा बोडो अरोनई. *15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस की पीएम मोदी ने की थी घोषणा* 300 से अधिक जनजाती विरासत संरक्षण केंद्र भी स्थापित किए गए हैं. पीएम मोदी ने 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस घोषित कर भगवान बिरसा मुंडा को सम्मानित किया है. वह झारखंड के उलीहातू में बिरसा मुंडा के जन्म स्थान का दौरा करने वाले पहले प्रधानमंत्री बनें. रांची में भगवान बिरसा मुंडा मेमोरियल पार्क और स्वतंत्रता संग्रहालय का निर्माण भी कराया गया. *आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को किया सम्मानित* मोदी सरकार ने बिरसा मुंडा, रानी कमलापति और गोंड महारानी वीर दुर्गावती जैसे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को सम्मानित किया है. गारो खासी, मिजो और कोल विद्रोह जैसे आंदोलनों को भी मान्यता दी गई है. भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम रानी कमलापति रेलवे स्टेशन कर दिया गया है. मणिपुर के कैमाई रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी गाइदिन्ल्यू स्टेशन किया गया है. *देशभर में विकसित किए जा रहे स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय* इतना ही नहीं पूरे देश में स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय भी विकसित किए जा रहे हैं. इसके अलावा आदि महोत्सव की शुरुआत 2017 में की गई. इसके तहत देशभर के अलग-अलग स्थानों में आदिवासी उद्यमिता और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया गया है. जी 20 शिखर सम्मेलन में आदिवासी कारीगरों को उनके काम के लिए और भी अधिक अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली. *जनजातीय प्रोडक्ट्स को दिया जा रहा बढ़ावा* जनजातीय और आदिवासी क्षेत्रिय प्रोडक्ट्स के निर्यात को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. अराकू कॉफी ने 2017 में पेरिस में अपनी पहली ऑर्गेनिक कॉफी शॉप खोली, जिससे वैश्विक बाजारों में उसका प्रवेश हुआ. इसी तरह छत्तीसगढ़ के निर्जलित महुआ फूलों ने फ्रांस समेत अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी जगह बनाई है. शॉल, पेंटिंग्स, लकड़ी के सामान, आभूषण और टोकरियां आदि सामान विदेशों में भी तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं. *ट्राइफेड के जरिए कारीगर परिवारों को किया जा रहा सशक्त* सरकार, ट्राइफेड यानी ट्राइबल कोऑपरेटिव मार्केटिंग डेवलपमेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के आउटलेट्स राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ई-कोमर्स प्लेटफॉर्म के साथ साझेदारी के माध्यम के साथ इन प्रयासों का समर्थन करती है. नवंबर 2024 तक ट्राइफेड ने 2,18,500 से अधिक कारीगर परिवारों को सशक्त बनाया है. ट्राइब्स इंडिया के माध्यम से 1 लाख से अधिक आदिवासी उत्पादों की बिक्री को सुविधा मिली है. भारत के जनजातीय समुदायों की विरासत को सही सम्मान देना, पीएम मोदी की प्रतिबद्धता है. यह उनकी सोच है जो आदिवासी समुदायों गहरी सांस्कृतिक जड़ों का सम्मान करती है, उन्हें सशक्त बनाती है और उनकी कहानियों को दुनिया के सामने ला रही है. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Nov 16, 2024
आदिवासी समुदायों की प्रगति राष्ट्रीय प्राथमिकता: राष्ट्रपति
नई दिल्ली, 16 नवंबर 2024 (यूटीएन)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि देश तभी सही मायने में विकसित होगा जब आदिवासी समुदाय भी विकास की मुख्यधारा में होंगे। इतना ही नहीं राष्ट्रपति मुर्मू ने आदिवासी समुदायों की प्रगति को राष्ट्रीय प्राथमिकता भी बताया। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि उनके लिए विकास के अवसर बढ़े। उन्होंने 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती से पहले आदिवासी गौरव दिवस को लेकर यह बातें कहीं। बता दें कि आज के दिन यानी 15 नवंबर को बिरसा मुंडा की जयंती पर आदिवासी गौरव दिवस के तौर पर मनाया जाता है। बिरसा मुंडा को 'धरती आबा' के नाम से जाना जाता है और इस दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में आदिवासी समुदायों के योगदान को सम्मानित किया जाता है। *आदवासी समुदाय के इतिहास पर बोलीं मुर्मू* राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आदिवासी समाज ने सदियों से देश की सभ्यता और संस्कृति को समृद्ध किया है। इस संदर्भ में उन्होंने रामायण का उदाहरण दिया, जिसमें भगवान राम ने वनवासियों को अपनाया और वनवासियों ने भी भगवान राम को अपनाया। उन्होंने कहा आदिवासी समाज में पाई जाने वाली आत्मीयता और सद्भाव की भावना हमारी संस्कृति और सभ्यता का आधार है। राष्ट्रपति मुर्मू ने यह भी कहा कि आदिवासी समुदायों को अब बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, परिवहन, चिकित्सा, शिक्षा और रोजगार मिल रहे हैं, जो पहले नहीं थे। उन्होंने बताया कि इसके परिणामस्वरूप आदिवासी लोगों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है और उन्हें आर्थिक विकास के अवसर भी मिल रहे हैं। *आदिवासी समुदायों के लिए चल रहे बड़े अभियान* राष्ट्रपति ने कहा कि वर्तमान सरकार आदिवासी समुदायों के विकास के लिए कई बड़े अभियान चला रही है। उन्होंने कहा हमारा देश तभी सही मायने में विकसित बनेगा, जब हमारे आदिवासी भी विकसित होंगे। आदिवासी समुदाय के लोगों की प्रगति हमारी राष्ट्रीय प्राथमिकता है। हम चाहते हैं कि उनका पुराना रूप बरकरार रहे और वे साथ ही साथ आधुनिक विकास की दिशा में भी आगे बढ़ें। उन्होंने यह भी बताया कि आदिवासी समाज में एक नई चेतना फैल रही है जो उनके गौरव और संविधान के आदर्शों को मान्यता देती है। *महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता को सराहा* इसके साथ ही राष्ट्रपति ने आदिवासी महिलाओं की बढ़ती आत्मनिर्भरता की भी सराहना की। खासकर वे जो स्वयं सहायता समूहों और अन्य विकास योजनाओं के माध्यम से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि राष्ट्रीय योजनाओं का लाभ सभी आदिवासी लाभार्थियों तक समय पर पहुंचे। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Pradeep Jain
Nov 16, 2024
रिपोर्ट: डायबिटीज के दुनियाभर में 82.8 करोड़ मरीज जिसमें एक चौथाई भारतीय
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। डायबिटीज ने 2022 में दुनियाभर में 82.8 करोड़ लोगों को अपना शिकार बनाया। इसमें एक चौथाई भारतीय हैं। विश्व मधुमेह दिवस पर जारी लैंसेट की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 2022 में भारत में करीब 21.2 करोड़ लोग इससे पीड़ित थे। एनसीडी-आरआईएससी के मुताबिक, साल 1990 के आंकड़ों की तुलना में डायबिटीज के मरीजों की संख्या चार गुना अधिक बढ़ी है। इसमें कम उम्र के लोगों के मामलों में सबसे ज्यादा बढ़त हुई है। *युवाओं की बढ़ती संख्या* दुनियाभर में 30 और उससे अधिक उम्र के 44.5 करोड़ युवा ऐसे हैं, जो डायबिटीज से ग्रसित होने के बाद उचित उपचार नहीं करवा पा रहे हैं। अध्ययन के अनुसार 2022 में दुनियाभर में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लगभग 82.8 करोड़ लोग टाइप1 और टाइप2 डायबिटीज से पीड़ित थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पहले अनुमान लगाया था कि लगभग 42.2 करोड़ लोगों को पुरानी बीनारी के कारण इलाज न मिलने के कारण इसके आंकड़े बढ़े हैं। *अध्यन में हुआ खुलासा* अध्ययन में कहा गया है कि 1990 के बाद से डायबिटीज की वैश्विक दर लगभग 7 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी हो गई है। इसमें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में डायबिटीज के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। *भारत के डाटा पर उठे सवाल* लैंसेट की रिपोर्ट में भारत में 21 करोड़ से अधिक मधुमेह रोगी होने के दावे पर विशेषज्ञ सवाल उठा रहे हैं। दरअसल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के हालिया अध्ययन के अनुसार भारत में 2023 में 10.1 करोड़ मधुमेह रोगी ही हैं। आईसीएमआर के आंकड़ों के अनुसार प्री डायबिटीक लोगों की संख्या 13 करोड़ से अधिक है। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 15, 2024
खतरनाक: भारत समेत कुछ देशों तक बेची जा रही घटिया हल्दी, सीसे की मात्रा मानक से 200 गुना ज्यादा
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। भारत के कुछ हिस्सों से लिए हल्दी के नमूनों में लेड (सीसे) की मात्रा तय मानकों से 200 गुना अधिक पाई गई है। यहां तक कि पाकिस्तान और नेपाल में बेची जा रही हल्दी में सीसे की मात्रा तय मानकों से कई गुना अधिक है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। यह खुलासा भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में किया गया है। *शोधकर्ताओं ने किया खुलासा* शोधकर्ताओं ने दिसंबर 2020 से मार्च 2021 के बीच भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका और नेपाल के 23 प्रमुख शहरों से इकट्ठा किए गए हल्दी के नमूनों का विश्लेषण किया है। इस दौरान हल्दी के कुल 356 नमूने एकत्र किए गए। अमेरिका में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन, हूवर इंस्टिट्यूशन, प्योर अर्थ और नई दिल्ली स्थित फ्रीडम एम्प्लॉयबिलिटी अकादमी के शोधकर्ताओं ने 180 नमूने हल्दी की जड़ों के और 176 नमूने हल्दी पाउडर से लिए थे। इसमें से 14 फीसदी नमूनों में लेड का स्तर दो माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से अधिक था, जबकि सात फीसदी नमूनों में लेड का स्तर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा जारी मानकों से कहीं ज्यादा था। भारत के पटना और पाकिस्तान के कराची तथा पेशावर से लिए हल्दी के नमूनों में सीसे का स्तर 1,000 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से अधिक पाया गया, यानी इनमें लेड का स्तर तय मानकों से करीब 200 गुना अधिक था। *पॉलिश की गई हल्दी की जड़ें सबसे अधिक प्रदूषित* शोधकर्ताओं का कहना है कि पॉलिश की गई हल्दी की जड़ें सबसे अधिक प्रदूषित पाई गईं। हल्दी को पीला और चमकदार बनाने के लिए लेड क्रोमेट नामक जहरीले केमिकल का उपयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं। *एफएसएसएआई के नियम* एफएसएसएआई द्वारा जारी नियमों के अनुसार हल्दी में लेड क्रोमेट, स्टार्च या किसी भी अन्य तरह का रंग नहीं होना चाहिए। शीषे की वजह से दुनिया में सालाना लगभग 55.5 लाख लोगों की मौत हो जाती है। यह एक तरह का हैवी मेटल है जो शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक है। *10 माइक्रोग्राम है मानक* लखनऊ, चंडीगढ़, भुवनेश्वर, अमृतसर, चेन्नई और गुवाहाटी से लिए नमूनों में भी लेड की मात्रा एफएसएसएआई द्वारा तय सीमा से अधिक पाई गई। एफएसएसएआई अधिनियम, 2011 के मुताबिक साबुत और पिसी हल्दी में स्वीकार्य सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम है। गुवाहाटी से लिए नमूनों में लेड का अधिकतम स्तर 127 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम रहा कराची से लिए गए हल्दी के आधे नमूनों में लेड मौजूद था। इसकी औसत मात्रा तीन माइक्रोग्राम प्रति ग्राम रही। जबकि अधिकतम स्तर 2,936 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम तक था। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 15, 2024
अपने पैसे से कराया 200 मंदिरों का निर्माण, 'राष्ट्र बोध' के लिए अहिल्याबाई होल्कर का योगदान अतुलनीय
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। अनेक कारणों से लंबे समय में समाज में यह मान्यता स्थापित हो गई है कि भारतीय समाज में महिलाओं की भूमिका कमजोर थी। वे अशिक्षित थीं और घर-परिवार हो या शासन-प्रशासन, उनका स्थान महत्त्वपूर्ण नहीं था और उन्हें कोई अधिकार हासिल नहीं था। लेकिन भारत के इतिहास में ऐसी अनेक महिलाएं हुई हैं जो इस प्रचलित अवधारणा का खंडन करती हैं। जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर समाज में न केवल सम्मान हासिल किया, बल्कि देश और समाज के उत्थान में इतनी महान भूमिका अदा की, जिसकी कोई दूसरी मिसाल नहीं मिलती। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता डॉ. कृष्ण गोपाल ने ये बातें अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जन्मशती पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। डॉ. कृष्णगोपाल ने कहा कि विदेशी आक्रांताओं के लंबे असर के कारण लोगों के अंदर स्व का भाव कमजोर हो गया। आक्रांताओं के कारण समाज की कोई महिला सुरक्षित नहीं रही। इससे लोगों का स्वाभिमान कमजोर हो गया। माता अहिल्याबाई होल्कर ने इस बात को समझा और यह भी समझा कि राष्ट्र को मजबूत करने के लिए लोगों में स्वाभिमान की भावना भरना आवश्यक है। यही कारण है कि उन्होंने अपने निजी कोश से उस कालखंड में 200 मंदिरों का निर्माण करवाया। इंदौर राजघराने की माता अहिल्याबाई होल्कर के इस योगदान का यह परिणाम हुआ कि लोगों में आत्मसम्मान की भावना पैदा हुई। इसी तरह विदेशी आक्रांताओं से पीड़ित समाज के बीच शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। बड़ी चतुराई से उन्होंने एक छोटा साम्राज्य स्थापित किया। 1674 में हिंदू पादशाही की स्थापना हुई। 1680 में शिवाजी महाराज की मृत्यु हो गई। लेकिन इस छोटे से काल खंड में ही उन्होंने जनमानस में गजब की प्रेरणा भर दी। उनकी मृत्यु के 26 साल बाद तक औरंगजेब उस छोटे से साम्राज्य लड़ता रहा और अंत में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ही उसकी मृत्यु हो गई। शिवाजी की इस पूरी शक्ति के पीछे उनकी माता जीजाबाई की प्रेरणा ही काम कर रही थी। माता जीजाबाई के इस अद्भुत योगदान को इतिहास कभी भूल नहीं सकता। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर त्रिशती समारोह समिति के कार्याध्यक्ष उदयनराजे होलकर ने कार्यक्रम के पश्चात सबका धन्यवाद किया। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
admin
Nov 15, 2024
ग्लेडिएटर 2:दिल थाम कर देखेंगे फिल्म के एक्शन सींस रोम के योद्धा की एक अद्भुत कहानी की अगली कड़ी
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। मुझे आज भी याद है जब मैं करीब 24 साल पहले इस फिल्म के पहले पार्ट का रिव्यू करने नजदीकी मल्टीप्लेकस गया था, हॉल पूरी तरह भरा हुआ था तो अगले दोनो शो भी एडवांस में ही फुल थे, यही नजारा इस बार फिर नजर आया जब पॉल मेस्कल के फैंस अपने चहेते हीरो की फिल्म देखने अपने फ्रेंड फैमिली के साथ सिनेमा आए l इस फिल्म को देखते हुए मेरे दिल में भी एक बार फिर से खुशी थी कि पिछली फिल्म ग्लेडिएटर की जबरदस्त कामयाबी के बाद मैं फिर से पॉल मेस्कल की फिल्म देखने के साथ ग्लेडिएटर 2 का रिव्यू करने आया हूं। एक बार फिर इस फिल्म में पॉल ने अपना दमदार अभिनय तो दिखाया ही साथ ही पॉल के दिल थाम कर देखने वाले एक्शन सींस को देख यह यह एक्शन पिछली फिल्म से कहीं ज्यादा है तो फिल्म में एंटरटेनमेंट का भी फुल तड़का है। करीब 150 मिनट अवधि की इस फिल्म में जॉनर एक्शन और एडवेंचर भी कम नहीं है। इस फिल्म के डॉयरेक्टर रीडली स्कॉट है जिन्होंने पिछले साल आई फिल्म नेपोलियन का निर्देशन किया यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थी। *स्टोरी प्लॉट* फिल्म की कहानी की बात करें तो यह फिल्म योद्धा मैक्सिमस और उसके बेटे के इर्द-गिर्द घूमती है जिसका नाम लूसीयस है इस फिल्म मेवलूसीयस का किरदार पॉल मेस्कल ने निभाया है बेटा भी अपने पिता की तरह ही एक शक्तिशाली योद्धा है जो रोम के अत्याचारी शासको के खिलाफ युद्ध लड़ रहा है इस युद्ध में उसकी पत्नी अरिष्ट भी उसका साथ देती है जो खुद भी एक अच्छी योद्धा है। फिल्म में अरिष्ट का किरदार कोनी ने जानदार ढंग से निभाया है। फिल्म की कहानी में ट्विस्ट उस वक्त आता है जब लूसीयस लड़ते-लड़ते ग्लेडिएटर का रूप धारण कर लेता है, अब देखना यह है कि लूसीयस रोम के अत्याचारों से वह कैसे लड़ता है और इस युद्ध का क्या परिणाम होता है। *एक नजर में* मेरी नजर में फिल्म केवसभी एक्शन सीक्वेंस कमाल के हैं। फिर चाहे बात करे वारियर योद्धाओं के गेटअप की या फिर खून खराबी की सभी सीन आपकी चौंका देंगे इस फिल्म की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है, जो पुराने माहौल के युद्ध वातावरण को बखूबी रियलिटी से रूबरू कराता है। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक गजब है और हर एक सीन में जान डालने का काम करता है। यह फिल्म पिछली फिल्म से काफी बेहतर है इस बार स्टोरी को ज्यादा डेवलप किया गया है। हालांकि फिल्म थोड़ी लंबी जरूर है पर यह आपका मनोरंजन करने में कोई कसर नहीं छोड़ती। *ओवर ऑल* अगर आप अच्छी कहानी और जबरदस्त एक्शन के शौकीन है और इस फिल्म का पहला पार्ट देखा है तो इस फिल्म को मिस न करे और अपने फ्रेंड्स फेमिली के साथ इस फिल्म को देखे फिल्म फुल पैसा वसूल है. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Nov 15, 2024
सराय काले खां चौक का नाम अब मोदी सरकार ने किया बिरसा मुंडा चौक
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली के सराय कालेखां आईएसबीटी चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक कर दिया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने महान स्वतंत्रता सेनानी और जननायक भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर यह जानकारी दी. भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर सरकार ने बड़ा फैसला किया है। भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के मौके पर केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा, मैं ऐलान करता हूं आईएसबीटी बस स्टैंड के पास जो बड़ा चौक है, उसका नाम भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर रखा जाता है. ताकि न सिर्फ दिल्ली के नागरिक बल्कि पूरे देश के लोग इस प्रतिमा का दर्शन करेंगे और उनके नाम से हम जीवन भर प्रेरणा ले सकेंगे. इसके अलावा इस चौक के पास ही बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा का भी अनावरण किया गया है। दिल्ली के बांसेरा उद्यान में हुए इस कार्यक्रम में गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद थे. *बिरसा मुंडा की प्रतिमा का अनावरण* केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर उनकी भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, "अभी हमारे एलजी साहब ने मुझे बताया कि ये 30 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन जिस पर ये बांसेरा बनाया गया है, कभी कूड़े का ढेर हुआ करता था और आज यहां लाखों पक्षी आते हैं। जब कोई सरकार लोगों और समाज के कल्याण को ध्यान में रखकर आती है, तो ये उसका उत्तम उदाहरण है. गृहमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा,'जब सरकार मन में जन कल्याण का उद्देश्य लेकर निकलती है तो जैसे सराय काले खां का विकास किया गया है. ये पार्क इसका उदाहरण है. झारखंड में सिद्धों कानो का या बिरसा मुंडा हो, राजस्थान का आंदोलन, महाराष्ट्र, तेलंगाना, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना. इन सब जगह आदिवासियों के नेत्रित्व में आंदोलन चला. पूर्वोत्तर में नागा, खासी में आदिवासी आंदोलन चला, लेकिन दुर्भाग्य से इनका नाम भुला दिया गया. लेकिन मोदी सरकार 2014 से ये काम कर रही है और आदिवासियों से जुड़े तीन संग्रहालयों का निर्माण किया गया है. 2026 से पहले ये तीन संग्रहालय जनता के लिए खुलेंगे. 75 साल में पहली बार किसी आदिवासी को राष्ट्रपति बनने का मौका मोदी सरकार ने किया है. बता दें कि नाम बदलने का यह कोई पहला मामला नहीं है. यूपी में 2022 में हुई निकाय चुनाव से पहले नाम बदलने की कवायद काफी तेज हो गई थी. राजधानी लखनऊ के लालबाग तिराहे का नाम बदलकर सुहेलदेव राजभर तिराहा कर दिया गया था. वहीं, मोहन भोग चौराहे से कोठारी बंधु तक सड़क का नाम बदलकर कल्याणेश्वर हनुमान मंदिर मार्ग कर दिया गया था. इसके साथ ही विराम खण्ड राम भवन चौराहे का नाम बदलकर शहीद मेजर कमल कालिया चौराहा कर दिया गया था. वहीं, बर्लिंगटन चौराहे को अशोक सिंघल चौराहा कर दिया गया था. नाम बदलने का चलन सिर्फ बीजेपी शासित इलाकों में ही नहीं देखने मिला. बल्कि, कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार वाले केरल ने भी कुछ महीनों पहले अपने राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था. जून महीने में केरल विधानसभा में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिसमें केंद्र से राज्य का नाम आधिकारिक तौर पर बदलकर 'केरलम' करने का आग्रह किया गया था. *केरल ने की थी नाम 'केरलम' करने की मांग* केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने तब कहा था कि हमारे राज्य का मलयालम में नाम केरलम है. 1 नवंबर, 1956 को भाषा के आधार पर राज्यों का गठन किया गया था. केरल का जन्मदिन भी 1 नवंबर को है. मलयालम भाषी समुदायों के लिए एक संयुक्त केरल बनाने की जरूरत राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम के समय से ही दृढ़ता से उभरी थी. लेकिन हमारे राज्य का नाम संविधान की पहली अनुसूची में केरल के रूप में लिखा गया है'. उन्होंने कहा था कि विधानसभा सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से अनुरोध करती है कि संविधान के अनुच्छेद 3 के तहत इसे 'केरलम' के रूप में संशोधित किया जाए. विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Nov 15, 2024
कच्चे तेल के अधिक उत्पादन से कीमतों में स्थिरता आने की उम्मीद : हरदीप सिंह पुरी
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत उम्मीद कर रहा है कि अमेरिका और कनाडा जैसे पश्चिमी देशों में कच्चे तेल का अधिक उत्पादन होने से बाजार में शांति होगी और कीमतों में स्थिरता आएगी। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बृहस्पतिवार को यह बात कही। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के 12वें पीएसई शिखर सम्मेलन में पुरी ने कहा कि पश्चिमी गोलार्ध के देश अधिक उत्पादन कर रहे हैं, जिससे पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक को भी उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रभावित किया जा सकता है। इससे वे अधिक कमाई कर सकेंगे। तेल कीमतों में उतार-चढ़ाव अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर अर्थव्यवस्थाओं को परेशान करता है क्योंकि उन्हें न केवल ईंधन खरीदने पर अतिरिक्त खर्च करना पड़‌ता है, बल्कि इससे मुद्रास्फीति भी आती है जो उनके लोगों की क्रय शक्ति को कम करती है। उन्होंने कहा, आज पश्चिमी गोलार्थ से वैश्विक बाजार में अधिक उत्पादन आ रहा है। ब्राजील, गुयाना, कनाडा और अमेरिका अधिक उत्पादन कर रहे है... अधिक से अधिक तेल आने के कारण, उम्मीद है कि बाजार की स्थिति शांत हो जाएगी। पुरी ने कहा कि इससे कुछ हद तक उन उत्पादकों को भी लाभ होगा जिन्होंने तेल उत्पादन में कटौती म की है, ताकि अधिक राजस्व स अर्जित करने के लिए अधिक उत्पादन किया जा सके। कच्चे तेल निर्यातक देशों के संगठन और रूस स के नेतृत्व वाले सहयोगी (संयुक्त रूप से ओपेक) ने 2022 के अंत से कीमतों को बढ़ाने और मांग को ग पूरा करने के लिए उत्पादन में भारी ह कटौती की है। ओपेकू के सदस्य वर्तमान में कुल 58.6 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) या वैश्विक स मांग का लगभग 5.7 प्रतिशत उत्पादन कटौती कर रहे हैं। बाद में पत्रकारों से उन्होंने कहा के कि ओपेकू उत्पादन में कटौती के अपने फैसले की सक्रियता से स समीक्षा कर रहा है और एक या दो महीने में इस मुद्दे पर निर्णय ले सकता है। सीआईआई पीएसई काउंसिल के अध्यक्ष और तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के अध्यक्ष और सीईओ अरुण कुमार सिंह ने नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए सार्वजनिक-निजी सहयोग, पीएम इंटर्नशिप योजना जैसी कौशल विकास पहल और पीएसई के भीतर अत्याधुनिक तकनीकों के महत्व पर प्रकाश डाला। सिंह ने कहा, "कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), ब्लॉकचेन और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी तकनीकों को एकीकृत करने से पीएसई उद्योग 4.0 के साथ तालमेल रख सकेंगे।" उन्होंने व्यवसायों पर मुकदमेबाजी की उच्च लागत के प्रभाव को भी संबोधित किया, तथा वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र, विशेष रूप से मध्यस्थता, को व्यावसायिक वातावरण का समर्थन करने के लिए अधिक लागत प्रभावी और कुशल तरीके के रूप में वकालत की। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने ऊर्जा सुरक्षा, स्थिरता और सामाजिक प्रभाव जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को संबोधित करने में भारत के सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच परिवर्तनकारी तालमेल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये सहयोगात्मक प्रयास उद्योगों में लचीलापन और सतत विकास के निर्माण के लिए एक आधार के रूप में काम करते हैं, जो नवाचार और साझेदारी के माध्यम से आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है। सीआईआई पीएसई काउंसिल की सह-अध्यक्ष और इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड की अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक सुश्री वर्तिका शुक्ला ने भारत को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने में पीएसई के भीतर नवाचार और बुनियादी ढांचे के विकास की भूमिका को रेखांकित किया। स्वदेशी लड़ाकू जेट, रडार सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के विकास में भारत के रक्षा क्षेत्र की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने आयात निर्भरता को कम करने और उच्च तकनीक क्षमताओं का निर्माण करने की देश की क्षमता की ओर इशारा किया। उन्होंने पारदर्शिता और शासन के महत्व पर भी जोर दिया, उत्कृष्टता और जवाबदेही की वकालत की क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम अपने उद्देश्यों को पूरा करने और भारत के सतत विकास पथ में योगदान देने का प्रयास करते हैं। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
Ujjwal Times News
Nov 15, 2024
कार्बन उत्सर्जन को कम करने में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की अहम भूमिका होगी : सीआईआई पीएसई शिखर सम्मेलन
नई दिल्ली, 15 नवंबर 2024 (यूटीएन)। शुद्ध शून्य के मामले में अग्रणी, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसई) अपने व्यावसायिक संचालन को प्रभावी ढंग से कार्बन मुक्त करने और उत्सर्जन से निपटने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, यह बात 14 नवंबर को नई दिल्ली में सीआईआई पीएसई शिखर सम्मेलन में ‘भारत की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की ओर मार्ग: विरासत से भविष्य को उत्प्रेरित करने तक पीएसई की भूमिका’ पर पूर्ण सत्र के दौरान ऑयल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉ रंजीत रथ ने कही। उन्होंने कहा कि पीएसई की जिम्मेदारी न केवल व्यवसाय चलाने की है, बल्कि सामाजिक प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के इरादे से ऐसा करना है। डॉ रथ ने कहा, “पीएसई की सामूहिक खरीद का भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा असर पड़ता है। चाहे वह तेल और गैस, स्टील, कोयला या बड़े पैमाने के उपकरण के लिए हो, पीएसई न केवल देश के विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र को सुविधाजनक बनाते हैं, बल्कि युवा उद्यमियों को बड़ा सोचने और अपने व्यवसाय को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं।” गवर्नमेंट-ई-मार्केटप्लेस (जैम) के अतिरिक्त सीईओ अजीत बी चव्हाण ने कहा, "हमने 2016 से इस प्लेटफॉर्म पर जो 10 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया है, उसमें से लगभग 39 प्रतिशत एमएसई के पास गया है, जिससे घरेलू छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिला है।" उन्होंने कहा कि जैम पोर्टल से सरकार को कम से कम 10 प्रतिशत की बचत हुई है, जिसे अन्य सामाजिक विकास कार्यक्रमों में लगाया जा सकता है। लगभग 1.6 लाख महिला-नेतृत्व वाले एमएसई और 27,000 स्टार्टअप जैम पोर्टल पर कारोबार कर रहे हैं और प्लेटफॉर्म का लक्ष्य इस संख्या को बढ़ाकर 1 लाख स्टार्टअप करना है। उन्होंने कहा कि सभी डीपीआईआईटी-पंजीकृत स्टार्टअप को प्लेटफॉर्म पर नामांकित किया जाएगा। चव्हाण ने कहा कि इस साल पोर्टल के जरिए 5-6 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी होने की उम्मीद है उन्होंने कहा कि हमें न केवल परिचालन संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए बल्कि अधिक शोध करने के लिए भी उद्योग-अकादमिक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ओएनजीसी ने 2038 तक शुद्ध शून्य परिचालन उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए 24 अरब अमेरिकी डॉलर का बजट रखा है। सीआईआई पीएसई काउंसिल की सह-अध्यक्ष सुश्री वर्तिका शुक्ला ने पीएसई के लिए अपने निर्णय लेने, निवेश और परिवर्तन के हिस्से के रूप में स्थिरता और नवाचार को देखने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “पीएसई ने इस्पात, बिजली, परमाणु ऊर्जा और रक्षा आदि सहित हर क्षेत्र में धन और मूल्य जोड़ा है। उन्होंने न केवल तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध किया है, बल्कि सामाजिक रूप से भी योगदान दिया है।” और स्थिरता, एमएसएमई और प्रौद्योगिकी का समर्थन करने में पीएसई के योगदान पर प्रकाश डाला। विशेष संवाददाता, (प्रदीप जैन) |
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Nov 15, 2024